~ Guided collection of thoughts exchanged with friends during walks ~
दरवाज़े
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दरवाज़ों पर लिखी हुई इबारते मिटा देना ।
मेरे कमरे में रखी हुई वह किताब हटा देना ॥
छुपा देना पैमाने, बुझा देना उन शामों को ।
मेरे जाने के बाद सब निशान मिटा देना दोस्तों ॥
थोड़ा झंझट है थोड़ा बबाल है, इधर उधर का सबको ख्याल है, मेरी दिल्ली तो एक कमाल है । कुछ आधा है तो कुछ अधूरा है कहीं कहीं ही कुछ पूरा है थोड़ा किस्सा है, थोड़ी कहानी है मेरी दिल्ली में एक रवानी है । सब कुछ दिखता है, कुछ भी बिकता है हल्का हल्का भुनता औ धुनता है मेरी दिल्ली में कभी कुछ नहीं रुकता है । भीनी सी सुबह, महकी सी शाम है अजब सा चहुँ ओर घाम है मेरी दिल्ली एक ताम झाम है। खुदा की तारीफ है , राम की बलिहारी है हर गली में राधा-श्याम की छटा न्यारी है मेरी दिल्ली में हर ख़ास -ओ- आम है मेरी दिल्ली को मेरा सलाम है। मेरी दिल्ली को मेरा सलाम है।
बहुत देर से रुके हुए हो चलो कृष्ण आज चलते हैं | बहुत कह लिया बेगानों से चलो कृष्ण आज अपनों को सुनते हैं | बहुत रह लिए किराये के घोंसलों में चलो कृष्ण आज दिल ढूँढ़ते हैं | बहुत शोर है यहाँ सब तरफ़ चलो कृष्ण आज अपने गीत गुनगुनाते हैं | बहुत उम्मीद से लोग नाम लेते हैं चलो कृष्ण आज लिख ही देते हैं | बहुत बहुत हो लिया चलो कृष्ण अब चलो कृष्ण !!!!
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