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आज चाय में फिर चीनी नहीं है

आज चाय में फिर चीनी नहीं है , उफ़, ये दिन फिर से वहीं है। उड़ कर आ जाता है रोज़ ये दिन, रात भर सोता नहीं तारे गिन गिन। आज चाय में फिर चीनी नहीं है , अहा, थिरकती हुई उम्मीद, थमी नहीं है। बारिशों में भीगी, भाग कर आई गोदी में मेरी सिमट, ऐसे ही सोयी। आज चाय में फिर चीनी नहीं है , हश्श, मेले में रोशनी कहीं कहीं है। छन छन के आती रही चाँदनी , शहर आज गर्म नहीं है। आज चाय में चीनी सही है , उंह, ये मीठी फिर भी नहीं है। उठ रही है भाप बहुत देर से, चाय अब ठंडी नहीं है।