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कृष्ण कहता है

कृष्ण कहता है - मोह न कर पर जब तू इठलाता है, पालने में न जाने तब कृष्ण कँहा चला जाता है । कृष्ण कहता है - संसार मिथ्या है पर जब तू चलता है, थामे ऊँगली मेरी, न जाने तब कृष्ण कँहा चला जाता है । कृष्ण कहता है - योगक्षेमं वहाम्यम् पर जब मैं पहुचता हूँ, घर थक कर, न जाने तब कृष्ण कँहा चला जाता है कृष्ण कहता है - निष्काम कर्म कर पर जब देखता हूँ, महीने में खाली जेब न जाने तब कृष्ण कँहा चला जाता है। कृष्ण कहता है - भविष्य की फ़िक्र न कर,  पर जब पाता हूँ तुझे देर रात में भी पढ़ते हुए  न जाने तब कृष्ण कँहा चला जाता है। कृष्ण कहता है - शांतचित्त से समर्पण कर  पर जब पहुचता हूँ मैं, हाथ जोड़ कर, न जाने तब कृष्ण कँहा चला जाता है । कृष्ण कहता था - साथ रहेगा वो सदा  अब जब भी चाहता हूँ मैं, भाग निकलना, न जाने तब कृष्ण कँहा से चला आता है। कृष्ण कहता था - तू मुझमे आ मिलेगा आज मैं आ गया हूँ बैकुण्ठ के द्वार पर वो देखो कृष्ण आ रहा है। वो देखो कृष्ण आ रहा है। । । इति श्री। ।